poem

सबको अपने बच्चे ,

सबको अपने बच्चे ,
सबसे प्यारे सबसे न्यारे
लगते है,
अपनी जान से ज़्यादा  प्यारे होते  है |
दिन – रात मेहनत करते है ,
हम उनकी खुशियो के लिए |
फिर क्यों ,
बेवजह की रोक कायदों की जंजीरो से
जकड़ते हो |
टॉपर या अच्छे माकर्स का प्रेशर डालकर
उनका बचपन छीनते हो |
अगर माहिर नहीं है,
वो किसी काम में
तो उनकी छिपी चाहत अरमानो को
दिल की गहराई से समझो |
प्रेशर डालकर
उनके चेहरे की मुस्कान और
अपने जीने की वजह
क्यों छीनते हो |

पैसो और नाम के पीछे इतना मत भागो |
कि बच्चे बुराई में गुमनाम हो जाये |
फिर उन्हें सभालना
मुश्किल ही नहीं
नामुमकिन हो जाये |
एक दोस्त बनकर कुछ समय
अपने बच्चे के साथ बिताये |
एक दिन उनके जैसा
उनके साथ जीये |
उनकी बातें दिल से सुने,
उनके सपनो को सँवारे |

गिर – गिर कर चलने दो |
अपने रास्ते खुद चुनने दो
बस एक दोस्त बनकर
सभालना है उनको |
अपने प्यारे बच्चो का
साथ देना है हमको |

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