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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां धरती फाड़कर महाकाल का रूप लिया था.

महाकाल मंदिर स्थापना -:
महाकाल मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी ईस्वी में उज्जैन के पूर्व राजा चंदप्रद्योत के पुत्र कुमारसेन ने करवाया था। इसका पुनर्निर्माण 12वीं शताब्दी ईस्वी में राजा उदयादित्य और राजा नरवर्मन के अधीन किया गया था। बाद में, पेशवा बाजीराव-प्रथम के अधीन मराठा कमांडर राणोजी शिंदे ने 18वीं शताब्दी ईस्वी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाकाल मंदिर की स्थापना द्वापर युग से पहले की गई थी। जब भगवान श्रीकृष्ण उज्जैन में शिक्षा प्राप्त करने आए, तो उन्होंने महाकाल स्त्रोत का गान किया था। गोस्वामी तुलसीदास ने भी महाकाल मंदिर का उल्लेख किया है। छठी शताब्दी में बुद्धकालीन राजा चंद्रप्रद्योत के समय महाकाल उत्सव हुआ था
महाकाल मंदिर इतिहास -:
भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां धरती फाड़कर महाकाल का रूप लिया था.उज्जैन में
ज्योतिर्लिंग कथा और शिव का बड़े भक्त था. वह हर रोज पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव की आराधना करता था. वहीं रत्नमाल पर्वत पर रहने वाले दूषण नाम के राक्षस को भी ब्रह्मा जी से एक वरदान मिला था.
इसी वरदान के मद में वह धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करने लगा था. उसने उज्जैन के ब्राह्मणों पर आक्रमण करने का विचार बना लिया. उसने अवंती नगर के ब्राह्मणों को अपनी हरकतों से परेशान करना शुरू कर दिया. वह ब्राह्मणों को कर्मकांड करने से मना करने लगा लेकिन ब्राह्मणों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया. वो राक्षस उन्हें आए दिन परेशान करने लगा. इससे परेशान होकर ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया.
शिव की हुंकार मात्र से भस्म हुआ राक्षस -:
भोलेनाथ ने नगरवासियों को राक्षस के अत्याचार से बचाने के लिए पहले उसे चेतावनी दी पर दूषण राक्षस पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उसने नगर पर हमला कर दिया. इसके बाद भोलेनाथ के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा. वो धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए. शिव ने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया. इसके बाद ब्राह्रणों ने महादेव से यहीं विराजमान होने के लिए प्रार्थना की. माना जाता है कि ब्राह्मणों के निवेदन पर शिव जी यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने लगे.
शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव ने महाकाल का रूप दूषण नामक दैत्य का वध करने के लिए लिया था, जिसके वध के बाद भगवान शिव को कालों का काल महाकाल कहा जाने लगा. सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग तीसरा और बेहद खास ज्योतिर्लिंग है

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