The voice of the women
में कुछ उलझी सी, कुछ सुलझी सी हूँ |
नहीं समझ पाओगे मुझे |
दर्द को छुपाकर , मुस्कुराने की आदत है ,”मुझे “
अपने आप को भुलाकर , अपनों के लिए जीने की आदत है ,”मुझे “
ना कुछ माँगा , ना कुछ चाहा ,
बदला मेने मुझको |
आदतों को बदला , चाहतों को बदला
भले मेरे अरमानों ने
अपनी करवटों को बदला |
दिन की रोशनी खियालो मे गई
रात की नींद बच्चों को सुलाने में गई
सारी उम्र घर को सजाने में गई |
” फिर भी नहीं समझा “मुझे” |
माँ लक्ष्मी की , माँ सरस्वती की
पूजा करो , चाहे कितनी
या करो 9 दिन का अखंड उपवास
सम्मान ना करा नारी का
सब बेकार गई आरधना तुम्हारी |
में कुछ उलझी सी , कुछ सुलझी सी हूँ
समझो | “मुझे “
Very nice
Very nycz mosii