मंजूलता सोलंकी
अगर दिल में कुछ अच्छा करने की तमन्ना हो तो
हर बीमारी हर मुश्किल से आगे बढ़कर
वो लोग दूसरो के लिए कुछ अच्छा करते है |
हर बीमारी हर मुश्किल से आगे बढ़कर
वो लोग दूसरो के लिए कुछ अच्छा करते है |
आज में आपको मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर की एक ऐसी शिक्षिका के बारे में बताने जा रही हूँ
जिनकी छह कीमोथेरैपी ,25 रेडियोग्राफी होने के बाद भी गांव -गांव जाकर जगा रहीं शिक्षा की अलख
मंजूलता सोलंकी
जिनकी छह कीमोथेरैपी ,25 रेडियोग्राफी होने के बाद भी गांव -गांव जाकर जगा रहीं शिक्षा की अलख
मंजूलता सोलंकी
बुलंद हौसलों क़ो सलाम – कोरोनाकाल में तमाम परेशानियों को दरकिनार कर शिक्षा की पहल |
अगर कुछ करने की चाह हो तो मुश्किलें भी आड़े नहीं आती | ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उज्जैन शहर की एक कैंसर पीड़िता शिक्षिका ने | वे कोरोना महामारी के मौजूद दौर में बच्चों को घर -घर जाकर पढ़ा रही हैं | दो साल में उनकी छह कीमोथेरैपी और 25 रेडियोग्राफी हो चुकी है | इसके बावजूद उन्होंने हौसला कायम रखा | कालूखेड़ी में पदस्थ शिक्षिका मंजूलता सोंलकी भैरवगढ़ क्षेत्र की पिछड़ी बस्तियों में बच्चों को रोजाना पढ़ाती है | इसके लिए वे कभी सड़क पर तो कभी ओटलो पर पाठशाला लगाती है |
मंजूलता कहती है की बच्चों को शिक्षित करना उनका कर्त्तव्य है | वे इससे कभी पीछे नहीं हटेगी | तमाम बाधाओं को पार करके पढ़ाने आएंगी |
मंजूलता कहती है की बच्चों को शिक्षित करना उनका कर्त्तव्य है | वे इससे कभी पीछे नहीं हटेगी | तमाम बाधाओं को पार करके पढ़ाने आएंगी |
कैंसर पर पाया काबू
मंजूलता कहती है की जब घर -घर जाकर पढ़ाने की योजना असल में आई तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार किया |
इसी बुलंद हौसले के दम पर ही उन्होंने कैंसर पर काबू पाया |
इसी बुलंद हौसले के दम पर ही उन्होंने कैंसर पर काबू पाया |
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