दिल में नव -उमंगो का संचार लाओ
दिल में नव -उमंगो का संचार लाओ
थमे हुए पैरों को आगे बढ़ाओ
उस गरीब के झोली में खुशिया लाओ।
किसी गुमनाम अँधरे में
भारत में ये पनप रहें है
जिन हाँथो में होना था कलम – दवात
आज वो भीख माँग रहें हैं
वो मासूम फरिश्ता कमाने निकल रहा है।
बदल दो आदतें अब
मत फेंको खाना अब
मत चाले – चलो अब
मत छीनों गरीब की रोटी
ना घूमने की चाह है
ना कुछ पाने की इच्छा
बस चाहता है अपनी भूख मिटाना |
थक चुका है कूड़ा बीन – बीन के
थक चुका है अमीरों के नीचे दब कर
क्यों फँसे हो तुम
जिंदगी की कशमकश में
अब तो समझो अपनी जिम्मेदारी
अब तो फैला दो अपने हाथों को
अब तो दया दिखाओ दिल में
अब तो लाओ उसके चेहरे पर मुस्कान।
दिल में नव -उमंगो का संचार लाओ
थमे हुए पैरों को आगे बढ़ाओ
उस गरीब के झोली में खुशिया लाओ।
Being Human
Nive one.