poem

मेरी प्यारी बिटिया

मेरी प्यारी बिटिया
मत  लेना तू  जन्म इस संसार में 
नौ महीने की मियाद बीत जाने पर
कहीं छिप  जाना कोख की दीवार में
और जाना उस दुनिया में
जहाँ महफूज हो
जहाँ उड़ सको तितली की तरह
जहाँ बह सको पानी की तरह 
जहाँ जी सको परियों की तरह
           मत  लेना तू  जन्म इस संसार में 

आखिर किस किस से लड़ोंगी
इस दुनिया में आकर
कोई  तुम्हे छुएगा 
कोई जबर्दस्ती करेगा 
कोई तुम्हें मानसिक संताप देगा 
कोई पीटेगा 
जब उससे भी मन नहीं भरेंगा 
तो तुम्हे मौत के घाट उतारने से परहेज नहीं करेंगा | 
सच में जमाना बेहिसाब रफ़्तार से बदनीयत बन रहा है | 
            मत  लेना तू  जन्म इस संसार में 
जमाने ने तो पहनावे को गलत ठहराया 
उस जमाने से पूछो 
वो एक साल की गुड़िया 
वो तीन साल की साल की नाजुक परी 
वो पांच  साल की नटखट परी 
ने ऐसा कौन सा 
        गलत पहनावा पहना होगा 
जों जमाने ने उन मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ा 
सोच ही घटिया है पहनाबे की बात करते हो 

जब तुम नहीं रहोगी ” बिटिया”
 यही जमाना देखते देखते बदनसील बन जायेगा  
सोच नहीं बदलोगे 
तो बेटियों को कैसे महफूज करोगे  
         मत  लेना तू  जन्म इस संसार में | 
     

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