अब कदम बढ़ाने का सोच लिया है|
अब कदम बढ़ाने का सोच लिया है
मंजिल की चाह में
किसी की सोच से डर जाऊ
में वो इंसान नहीं हूँ
वक्त ने फँसाया है लेकिन परेशान नहीं हूँ
हालातों से हार जाऊ
में वो इंसान नहीं हूँ
स्वाभिमान से जीत जाऊंगा
अहंकार से हारने वाला
में वो इंसान नहीं हूँ
जिंदगी चलने का नाम है
रुक कर मंजिल ना पाने वाला
में वो इंसान नहीं हूँ
संघर्ष की अपनी कहानी लिखूंगा
इरादों को मजबूत करुँगा
छोटी शरुआत से मंजिल तक पहुंच जाऊंगा
मेहनत से भाग जाऊ
में वो इंसान नहीं हूँ
कमल की तरह कीचड़ मे
अपनी पहचान बनाऊंगा
गुलाब की तरह काँटों का सामना करुँगा
अपनी पहचान ना बना पाऊ
में वो इंसान नहीं हूँ