Self Awareness

Self Awareness बीके शिवानी दीदी के विचार – अपनी पीड़ा का नियंत्रण अपने पास रखें

लोग हमें धोखा दे सकते हैं। हम पर चिल्ला सकते हैं। उनमें से कोई हमें शारीरिक रूप से भी चोट पहुंचा सकता है। लेकिन मन के अंदर घुसकर कोई भी हमें हर्ट नहीं कर सकता।

हम अक्सर कहते हैं कि किसी से अपेक्षाएं रखना नॉर्मल है। मतलब मुझे जो सही लगता है. यो वैसा करेंगे। जब हम उनसे ऐसी अपेक्षा रखते हैं तो वो भी हमसे अपेक्षाएं रखते हैं। और जब अपेक्षा पूरी नहीं होती तो मन दुखी हो जाता है। और दुःखी होकर हम कहते हैं कि आपने मुझे हर्ट किया। कभी भी किसी पर उंगली रखकर ऐसे नहीं बोलना कि आपने मुझे हर्ट किया। मन में भी नहीं। क्योंकि हमें कोई हर्ट नहीं कर सकता है। हमारा कोई अपमान नहीं कर सकता। वो सिर्फ व्यवहार कर सकते हैं। सिर्फ बोल सकते हैं। यो भी अपने संस्कारों के नजरिए से. लेकिन हम जो सोचते हैं उसके बाद पीड़ा तो हमारे मन में ही पैदा होती है।

एक मिनट आंखें बंद करो और उनको सामने लेकर आओ। जिन्होंने जो भी उस दिन किया था. उसको सामने लेकर आओ। देखो उन्होंने उस दिन क्या व्यवहार किया था। क्या बोला था उन्होंने उस  दिन ? वो उनका संस्कार था, वो उस दिन की उनकी मन की स्थिति थी, वो उनका नजरिया था, वो उनका व्यवहार थां, वो सबकुछ उनका था। वो एनर्जी उनकी थी उस दिन। उनके मन की स्थिति डिस्टर्ब थी। तो उस दिन उन्होंने अपना अपमान किया, आपका नहीं। आप उस बात को अपने मन से साफ करते हैं। और उनको उस दिन के लिए उस बात के लिए क्षमा करके बात को खत्म करते हैं तो आप इसे सिद्ध करते हैं कि कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता। जब वो ऐसा व्यवहार करते हैं तो वो अपना अपमान कर रहे होते हैं। मैं आत्मा हूं और अपने स्तर पर बिल्कुल ठीक हूं। मेरे मन की स्थिति उनके व्यवहार से डावांडोल नहीं हो जाती है। आप उनके उस व्यवहार को अपने मन से डिलीट करते हैं। तीन बार अंदर से अच्छे से मन में बोलो कि वो उनकी मनोदशा, उनका नजरिया था। वो दर्द में थे उस दिन। ये करना बहुत जरूरी है। नहीं तो आत्मा पर चोट पर चोट लगती रहती है।

आप साक्षी होकर देखते रहिए। बिल्कुल स्थिर होकर संयम से। तब किसी दूसरे का व्यवहार आपको ठेस नहीं पहुंचा पाएगा।

एक क्षण में आत्मा शरीर छोड़ती है। और अपने कभी साथ पे चोट, घाव साथ में ले जाती है आगे। भी कोई हमारे बारे में कुछ भी करें, कभी कोई हमसे कोई व्यवहार को एक क्षण में अपने आज को याद दिलाना कि उनका संस्कार है, वे उनका व्यवहार है इस समय। ये इस समय उनके मन की स्थिति है। वो उनके संस्कार से व्यवहार करेंगे। लेकिन हम किसके संस्कार से व्यवहार करेंगे? हम तो अपने ही संस्कार से व्यवहार करेंगे।

वो सिर्फ जोर से चिल्ला सकते हैं। लेकिन वो हमें हैटे नहीं कर सकते। हर्ट हमें कौन करेगा?  हम खुद ही करेंगे। जब हम उनके बारे में जैसा सोचेगे तथ। कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता। लोग हमें धोखा दे सकते हैं। लोग हम पर चिल्ला सकते हैं। उनमें से कोई हमें शारीरिक रूप से भी चोट पहुंचा सकता है। लेकिन हमारे मन के अंदर घुसकर कोई हमें हटे नहीं कर सकता। यहां तो सिर्फ एक ही व्यक्ति हमें हर्ट करता है, वो हैं हम खुद।

जब कोई आपको गलत कहे, अपमान वाली भाषा का उपयोग करे, झूठ बोले- आप भी साथी होकर देखते रहिए। बिल्कुल स्थिर होकर, संयम से। तब आप किसी दूसरे के व्यवहार को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे कि उसने मेरा अपमान किया।

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