रिचर्ड कार्लसन ( छोटी – छोटी बातों की टेंशन न ले ) बेकार की चिंताओं से मुक्त होना आसान है|
रिचर्ड कार्लसन की किताब ‘डॉट स्वेट द स्मॉल स्टफ’ की इस किताब ने पाठकों को सिखाया था कि सरल, शांतिपूर्ण और धैर्यवान जीवन कैसे बिताएं और बेकार की चिंताओं से मुक्त कैसे हों।
छोटी बातों की फिक्र छोड़ें छोटी-छोटी बातों की चिंता न करें और क्या आपको पता है, बहुतेरी बातें छोटी-छोटी ही होती हैं। ज्यादातर चीजें, जिनके बारे में हम दिनभर चिंता करते हैं और तनाव में रहते हैं, वे अधिक समय तक मायने भी नहीं रखती। इसलिए अपूर्णता को स्वीकार कर लें। परफेक्शनिस्ट होना अच्छा है, लेकिन इससे चिंताएं कम नहीं होतीं।
कूल रहना भी सीखें -: इस सोच को छोड़ दें कि सौम्य और शांत लोग सुपर-अचीवर नहीं हो सकते। वे हो सकते हैं। आप कूल होकर भी अपने लक्ष्यों को पा सकते हैं और अपने करियर में बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। अपनी सोच के स्नोबॉल प्रभाव को समझें। क्योंकि एक नकारात्मक विचार आसानी से और भी कई नकारात्मक विचारों को जन्म दे सकता है।
दूसरों को भी समझें -: एम्पैथी विकसित करें। दूसरे लोगों और उनकी समस्याओं के लिए समझ विकसित करने से आपको अपनी समस्याओं के बारे में सोचना बंद करने में मदद मिलती है। यह आपको अधिक कृतज्ञतापूर्ण दृष्टिकोण देता है। अपने आप को याद दिलाएं कि जब आप इस दुनिया से विदा होंगे तो आपके हाथ खाली नहीं होंगे। आप कुछ ऐसा हासिल करके जाएंगे, जो मूल्यवान है।
ज्यादा धैर्यवान बनें -: दूसरों को सही होने दें। उन्हें यह विश्वास करने दें कि वे ठीक कर रहे हैं। किसी को भी यह सुनना पसंद नहीं कि वे गलत हैं। ज्यादा धैर्यवान धैर्यवान बनें। धीरज का अभ्यास करें। देखें कि क्या आप 10 मिनट तक धैर्य रख सकते हैं? दूसरों में मासूमियत को खोजें और देखें कि वे जानबूझकर आपको परेशान करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
वर्तमान में लौट आएं -: वर्तमान में जीना सीखें। अपने मस्तिष्क को इस पर न भटकने दें कि अतीत में क्या होगा। क्या हुआ था या भविष्य में बस इसे बार-बार वर्तमान में लौटा लाएं, क्योंकि वर्तमान ही आपके पास वास्तव में है। मार्क ट्वेन ने कहा था, ‘मैंने जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना किया और उनमें से कुछ सच में ही हुई थीं। शेष महज कल्पना थीं।’
हमेशा शांति खोजें -: करने के लिए हमेशा बहुत कुछ होता है। इसलिए जब आपके पास करने के लिए बहुत कुछ हो, तब भी शांति पाने की कोशिश करें। जब आप अपनी टु-डु लिस्ट में सब कुछ पूरा कर लें, तो खुश होने का इंतजार न करें। किसी के लिए कुछ अच्छा करें और इसके बारे में किसी को न बताएं। किसी को बताने से अहंकार बढ़ता है और उस नेक कार्य की अहमियत कम हो जाती है।
बेकार बातों में खुद को न उलझाएं… खुद से पूछें : ‘क्या यह एक साल बाद भी मायने रखेगा?’ ज्यादातर मामलों में इसका जवाब है- नहीं। इसलिए इस बारे में ज्यादा चिंता न करें। खुद से यह सवाल पूछने से आपको ज्यादा शांत जीवन जीने में मदद मिलेगी। इस तथ्य को स्वीकार कर लें कि जीवन निष्पक्ष नहीं है। इसके साथ जीने की कोशिश करें।