भूखे को अन्न और प्यासे को पानी, जय हो बाबा अमरनाथ बर्फानी…
अमरनाथ की कथा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक कथा है जो भगवान शिव और पार्वती से संबंधित है। यह कथा अमरनाथ गुफा के बारे में है, जो जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है। इस गुफा में बर्फ से बना एक शिवलिंग होता है, जिसे श्रद्धालु भगवान शिव का प्रतीक मानते हैं।
अमरनाथ गुफा की खोज -:अमरनाथ गुफा की खोज का श्रेय बूटा मलिक नामक एक गड़रिया को दिया जाता है। एक कथा के अनुसार, 19वीं शताब्दी में बूटा मलिक जंगल में घूमते हुए एक साधु से मिला, जिसने उसे एक थैली दी। जब बूटा मलिक ने थैली खोली, तो उसने पाया कि उसमें सोने के सिक्के थे। साधु के निर्देशों का पालन करते हुए, वह अमरनाथ गुफा तक पहुंचा। इस घटना के बाद से, अमरनाथ गुफा की धार्मिक महत्ता को पहचाना गया और यह हिंदू तीर्थ स्थल बन गया।
इस गुफा के बारे में कुछ पौराणिक कथाएं और भी हैं, जो इसके प्राचीनता और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं, लेकिन आधुनिक समय में इसे खोजने का श्रेय बूटा मलिक को ही दिया जाता है।
अमरनाथ की कथा -: कहा जाता है कि एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य जानने की इच्छा प्रकट की। शिवजी ने उन्हें यह रहस्य सुनाने का वचन दिया और एक निर्जन स्थान की तलाश में निकल पड़े। इस प्रक्रिया में, वे कई जगहों पर अपने साथ ले जा रहे विभिन्न सामानों को छोड़ते गए ताकि कोई भी उन्हें ढूंढ न सके। अंततः वे अमरनाथ की गुफा पहुंचे। गुफा में पहुंचकर, भगवान शिव ने अमरता का रहस्य पार्वती को सुनाना आरंभ किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई और इस रहस्य को न सुने, उन्होंने गुफा के बाहर एक अग्नि प्रज्वलित कर दी। इसके बाद, उन्होंने पार्वती जी को यह कथा सुनानी शुरू की। इस बीच, एक कबूतर का जोड़ा जो गुफा के भीतर रह रहा था, वह यह पूरी कथा सुन रहा था। कहा जाता है कि इस कथा को सुनने के बाद वे दोनों अमर हो गए। इसलिए, गुफा के भीतर आज भी कबूतरों का एक जोड़ा देखा जा सकता है। अमरनाथ यात्रा हर साल श्रावण महीने में आयोजित की जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त में आता है। यह यात्रा पवित्र मानी जाती है और हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं।
यात्रा का मार्ग :- यात्रा दो मुख्य मार्गों से की जाती है:
- पहलगाम मार्ग: यह पारंपरिक और लंबा मार्ग है। इस मार्ग पर यात्रा लगभग 36-48 किलोमीटर लंबी होती है।
- बालटाल मार्ग: यह अपेक्षाकृत छोटा और तीखा मार्ग है। यह मार्ग लगभग 14 किलोमीटर लंबा होता है।
यात्रा के दौरान, श्रद्धालु कठिन पर्वतीय रास्तों से गुजरते हैं और विभिन्न स्थलों पर रुकते हैं, जहां वे शिवजी की पूजा-अर्चना करते हैं। यात्रा का अंतिम लक्ष्य अमरनाथ गुफा है, जहां बर्फ का शिवलिंग देखा जाता है।