बहू और बेटी में फर्क
माँ तू भी है , माँ वो भी है
फिर माँ जैसा प्यार क्यों
तुझसे नहीं पाती हूँ |
हर तकलीफ में साथ देती हूँ
फिर भी क्यों धुतकारी जाती हूँ |
फर्क बना दिया है
समाज ने बहू और बेटी में |
ताने बेटी को मिले तो गुस्सा आया
बहू को बात -बात पर ताना मारना ठीक लगा |
बेटी का जींस पहनना अच्छा लगा
बहू का सूट पहनना भी गलत लगा |
बहू से उम्मीद करते हो
सारा काम करके ऑफिस जाएं |
बेटी के लिए टिफिन बन जाता हैं |
बेटी की हर गलती नज़र अंदाज होती है
बहू की माफ़ी मांगने के बाद भी
छोटी सी भूल को
गुनाह बना देते हो |
बेटी का इंतजार करते हो
खाना खाने के लिए
बहू का इंतजार करते हो बनाने के लिए
बेटी के पैर छूने पर दिल से दुआएं देते हो |
बहू के पैर छूने पर,
आशीर्वाद का हाथ भी नहीं बढ़ाते हो |
बेटी के घूमने पर खुश होते हो
बहू के जाने पर रोक लगाते हो |
बेटी की तारीफ करना आसान है
मुश्किल तो बहू की तारीफ करना है |
परिवार वो भी ,परिवार ये भी है
अपने वहाँ भी है अपने ये भी हैं
फिर भी अपनों के बीच अकेला क्यों पाती हूँ |