एटॉमिक हैबिट्स – अच्छी आदतें बनाने का नकारात्मक पहलू |
एटॉमिक हैबिट्स छोटे बदलाव , असाधारण परिणाम के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य – प्रभावी ढंग से चुनने पर पहचान नाजुक के बजाय लचीली होती है। जिस तरह पानी किसी अवरोध के चारों ओर से बहने लगता है, उसी तरह आपकी पहचान बदली हुई परिस्थितियों में भी अच्छी तरह काम करती है।
ताओ ते चिंग का यह उद्धरण इसे आदर्श रूप से बयान करता है:
मनुष्य नरम और सुनम्य पैदा होते हैं ;
मृत अवस्था में वे कठोर और अकड़े होते है |
पौधे कोमल और नमनीय पैदा होते है ;
मृत अवस्था में वे भंगुर और सूखे होते है |
यानी जो भी कठोर और अनमनीय है
वह मृत्यु का शिष्य है |
जो भी नरम और लचीला है
वह जीवन का शिष्य है |
कठोर और सख्त को तोडा जायगा |
नरम और नमनीय की विजय होगी |
- लाओ त्सू –
आदतों के बहुत-से लाभ हैं, लेकिन नुक़सान यह है कि वे हमें सोचने और काम करने के पुराने तरीक़ों में तालाबंद कर सकती हैं तब भी जब हमारे आस-पास का संसार बदल रहा हो। हर चीज़ अस्थायी है। जीवन लगातार बदल रहा है, इसलिए आपको यह देखने के लिए समय-समय पर जाँच करने की ज़रूरत है कि क्या आपको अपनी पुरानी आदतों और मान्यताओं से लाभ हो रहा है। स्व-जागरूकता का अभाव विष है। चिंतन-मनन और समीक्षा विषहर औषधि हैं।
- आदतों का लाभ यह है कि हम बगैर सोचे काम कर सकते हैं। इनका नुक़सान यह है कि हम छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान देना छोड़ देते हैं।
- आदतें + सचेतन अभ्यास = महारत ।
- चिंतन-मनन और समीक्षा वह प्रक्रिया है, जो आपको समय के साथ अपने प्रदर्शन के बारे में चेतन बनाती है।
- हम किसी पहचान को जितनी कसकर जकड़े रहते हैं, उसके आगे विकास करना उतना ही ज़्यादा मुश्किल होता है।
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