Biography

सुधा मूर्ति

आज का यह आर्टिकल लखिका सुधा मूर्ति की जीवनी के बारे में बताने जा रहे है:- सुधा मूर्ति जी को हाल मेँ हि Padma Awards 2023 की लिस्ट में इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) भी शामिल हैं. उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया है. आईटी दिग्गज इंफोसिस आज दुनिया भर में अपना कारोबार कर रही है और इसे शुरू करने में सबसे अहम रोल सुधा मूर्ति का ही रहा है
सुधा मूर्ति प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका हैं। भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में काम पर रखने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ उपन्यास भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।

प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और सामाजिक गतिविधियां

सुधा कुलकर्णी मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 को डॉ. आर.एच. कुलकर्णी और विमला कुलकर्णी के लिए कर्नाटक के शिगगाँव में हुआ था। सुधा मूर्ति जी  ने B.V.B कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था। उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और तत्कालीन कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री देवराज उर्स से स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एम.ई. उसने प्रथम स्थान पर आने के लिए भारतीय इंजीनियर्स संस्थान से स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

1996 में, सुधा मूर्ति ने एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट ने अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,300 से ज्यादा घर बनाए हैं। उनके पास प्रत्येक स्कूल के लिए एक पुस्तकालय का भी सपना है और अब तक उन्होंने 70,000 से अधिक पुस्तकालय स्थापित किए हैं। उनके संगठन ने अब तक 16,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी कराया है। सेवा कार्यों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था और अब 2023 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। 


परोपकारी,सुधा मूर्ति :-

बेंगलुरु जा रही एक ट्रेन में टीसी की नजर सीट के नीचे दुबकी हुई ग्यारह वर्ष की एक लड़की पर पड़ी। लड़की ने रोते हुए कहा कि उसके पास टिकट नहीं है। टिकट चेकर ने उसे डांटते हुए गाड़ी से नीचे उतरने को कहा। वहां ट्रेन में सुधा मूर्ति भी मौजूद थीं। उन्होंने तुरंत कहा कि इस लड़की का बेंगलुरु तक का टिकट बना दो इसके पैसे मैं दे देती हूं। टिकट चेकर का कहना था कि मैडम टिकट बनवाने के बजाय इसे दो-चार रुपये दे दो तो ये ज्यादा खुश होगी। लेकिन मूर्ति ने लड़की का टिकट ही लिया। उन्होंने लड़की से पूछा कि वह कहां जा रही है तो उसने कहा, ‘पता नहीं मेम साब।’ लड़की का नाम चित्रा था। मूर्ति उसे बेंगलुरु ले गई और एक स्वयंसेवी संस्था को सौंप दिया। चित्रा वहां रहकर पढ़ाई करने लगी, मूर्ति भी उसका हालचाल पता करती रहती। करीब बीस साल बाद मूर्ति अमेरिका में एक कार्यक्रम में गई थीं। कार्यक्रम के बाद वे जब अपना बिल देने के लिए रिसेप्शन पर आई तो पता चला कि उनके बिल का पेमेंट सामने बैठे एक कपल ने कर दिया है। मूर्ति उस कपल की तरफ मुड़ी और उनसे पूछा कि आप लोगों ने मेरा बिल क्यों भर दिया? इस पर युवती ने कहा, ‘मैम, गुलबर्गा से बेंगलुरु तक के टिकट के सामने यह कुछ भी नहीं है।’ वह युवति चित्रा ही थी। मूर्ति की मदद ने उसका जीवन बदल डाला था।

बच्चों को पैसा, दया, प्यार और आशा बांटने का विचार सिखाना बहुत जरूरी है :-

सुधा मूर्ति ने एक बार एक किस्से का जिक्र किया था। उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वो अपने बर्थडे की पार्टी पर 50 हजार रुपए खर्च करने की बजाय एक छोटी पार्टी करे और बाकी के पैसे अपने ड्राइवर के बच्‍चों की पढ़ाई के लिए दे दें। सुधा मूर्ति ने कहा, ‘पहले तो मेरे बेटे ने इसके लिए मना कर दिया। लेकिन तीन दिन के बाद वो मान गया। कुछ वर्षों बाद उनका बेटा अपनी स्‍कॉलरशिप लेकर खुद आया और बोला कि इन रुपयों को 2001 में पार्लियामेंट अटैक में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद में लगा दें।’ मूर्ति ने कहा कि बच्चों को पैसा, दया, प्यार और आशा बांटने का विचार सिखाना बहुत जरूरी है। इससे वे सभी को एक समान समझते हैं।

सुधा मूर्ति की पुस्तकें :-

सुधा मूर्ति कन्नड़ और अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध कथा लेखक हैं. उसने मुख्य रूप से पेंगुइन के माध्यम से कई किताबें प्रकाशित की हैं, जिसमें काल्पनिक कथाओं के माध्यम से दान, आतिथ्य और आत्म-साक्षात्कार पर अपने दार्शनिक विचारों को व्यक्त किया है. कन्नड़ में उनकी कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें Dollar Bahu, Runa, Gently Falls the Bakula हैं. उनकी किताब “How I Taught My Grandmother to Read and Other Stories” का हिंदी, मराठी और असमिया सहित 15 भाषाओं में अनुवाद किया गया है. उनकी नवीनतम पुस्तक “The Day I Stopped Drinking Milk” है. उनके द्वारा लिखी गई अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं, वाइज एंड ओल्ड, ओल्ड मैन एंड द गॉड, द मैजिक ड्रम एंड अदर फेवरिट स्टोरीज और जेंटली फॉल्स द बकुला मराठी फिल्म पितृरूप सुधा मूर्ति की एक कहानी पर आधारित है.

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