सिवनी के लाड़ले सरकार (लड्डू गोपाल)
सिवनी के “लाड़ले सरकार” के रूप में प्रसिद्ध लड्डू गोपाल की चमत्कारी मूर्ति की कहानी काफी दिलचस्प और भक्तों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह मूर्ति सिवनी, मध्य प्रदेश में स्थित है, और इसकी अद्भुत विशेषताओं के कारण यह दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करती है।
मूर्ति का इतिहास और चमत्कार
कहा जाता है कि यह मूर्ति भगवान कृष्ण के बाल रूप “लड्डू गोपाल” की है, जिसे “लाड़ले सरकार” के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति विशेष रूप से चमत्कारी मानी जाती है क्योंकि भक्तों का मानना है कि यह मूर्ति बच्चों की तरह दूध, जल, और यहाँ तक कि फ्रूटी भी पीती है।
मूर्ति के चमत्कार:
दूध और पानी पीना: यह मान्यता है कि यदि भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ लाड़ले सरकार को दूध या पानी अर्पित करते हैं, तो वह इसे सचमुच पी लेते हैं। इस चमत्कार ने बहुत से लोगों को प्रभावित किया है, और इसके कारण सिवनी में इस मूर्ति की विशेष महत्ता है।
घर बुलाने की परंपरा: भक्तगण इस मूर्ति को दो से चार दिनों के लिए अपने घर आमंत्रित करते हैं, जैसे कि वह कोई जीवित बच्चा हो। इस दौरान भक्त उनकी बच्चों की तरह सेवा करते हैं, उन्हें स्नान कराते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, और उनके लिए विशेष भोजन और प्रसाद तैयार करते हैं।
बालक रूप में देखभाल: “लाड़ले सरकार” को बच्चों की तरह सुलाया जाता है, खिलाया जाता है, और उनके साथ खेला भी जाता है। यह माना जाता है कि इस दौरान भक्तों को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और उनके घर में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
भक्त मूर्ति को घर पर बुलाने के लिए कई साल लग जाते है , भक्तो के नंबर लगते है , और वह नंबर 4 ,5 साल बाद आते हैं , सिवनी के “लाड़ले सरकार” लड्डू गोपाल सच में एक बच्चे हैं और लड्डू गोपाल को बच्चे के रूप में पाने के लिए सभी भक्त इंतजार करते है | जब उनका नबंर आता हैं तो वो उनको लेने जाते है और अपने घर को फूलो से सजाते है | उनकी देख भाल एक बच्चे की तहर ही करते है |
भक्तों का विश्वास है कि लाड़ले सरकार की पूजा और सेवा करने से भगवान स्वयं उनके जीवन में आते हैं और उनके सभी दुखों का निवारण करते हैं। यह आस्था और विश्वास का प्रतीक है जो लोगों को इस मूर्ति के प्रति और भी श्रद्धालु बनाता है।
इतिहास – सिवनी के लड्डू गोपाल के एक कहानी मानी जाती है, प्रमाण नहीं है पर भक्तो का कहना हैं कि जो भक्त लोग मानते हैं , जिस घर में लड्डू गोपाल रहते है , उनके घर के पूर्वज में से एक माताजी रोज वृंदावन गोपाल जी के दर्शन करने जानती थी , उन माता जी कि धीरे – धीरे उम्र बढ़ने लगी तो वो दर्शन करने नहीं जा पाती थी , तब उन्होंने गोपाल जी को घर पर लाने का निश्चय किया , माता जी गोपाल जी का बाल रूप मूर्ति लेकर उनके घर सिवनी लेआई, और वो उस मूर्ति को एक बच्चे एक तरह रखने लगी , मूर्ति को वो एक बच्चे जैसे ही दूध पिलाती, पानी पिलाती वो गोपाल जी की मूर्ति भी उनके हाथों से सब कुछ पीती थी, एक समय एक बात थी, लड्डू गोपाल की मूर्ति गिर गई थी तो माता जी को बहुत चिंता होने लगी कही लल्ला को लग तो नहीं गई |वो गोपाल जी को डॉक्टर के पास लेकर गई, उन्होंने डॉक्टर से गोपाल जी को चेक करने का बोला डॉक्टर ने उनसे कहा ये गोपाल जी है ठीक है आप घर ले जाओ , पर माता जी डॉक्टर से बोला आप ‘आला’ लगा के चेक करो कही मेरे लल्ला को अंदर से कुछ चोट तो नहीं लगी | माता जी के बहुत कहने पर डॉक्टर ने लड्डू गोपाल की मूर्ति को चेक किया तो वह डॉक्टर भी हैरान हो गया | मूर्ति के अंदर से धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी | डॉक्टर ने माता जी की भक्ति और लड्डू गोपाल को हाथ जोड़कर प्रणाम किया |