ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी केअनमोल वचन
:- बदलाव तभी होगा जब आप खुद में सुधार करेंगे :-
अगर आप खुद गलत होंगे, तो किसी दूसरे को सही रास्ते पर चलने की सलाह नहीं दे सकते। ध्यान रखिए बदलाव तभी होगा जब आप खुद में सुधार करेंगे। यदि हम खुद कोई गलती करते हैं, तो दूसरों को सही रास्ते पर चलने की सलाह नहीं दे सकते हैं। ठीक इसी तरह यदि हमारा खुद पर नियंत्रण नहीं है, तो हम दूसरों को नियंत्रित नहीं कर सकते या फिर उन्हें नियंत्रित होने की सीख नहीं दे सकते हैं। भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक और इंस्पीरेशनल स्पीकर ब्रह्मकुमारी शिवानी कहती हैं, यह बात बहुत सीधी-सी है। यदि सामनेवाला गलत रास्ते पर जा रहा है, तो उसे सही राह पर ले जाने के लिए या उसे नियंत्रित करने के लिए स्वयं को शांत करना होगा। अक्सर हम देखते हैं कि यदि कोई बच्चा गलती करता है तो माता-पिता उस पर चिल्लाते हैं। वे बच्चों को डांटते हुए कहते हैं, ‘तुमने ऐसा क्यों किया, कितनी बार कहा है कि ऐसा मत करो, लेकिन तुम सुनते ही नहीं हो।’ इस तरह वे अपना आपा खो देते हैं, ऐसी स्थिति में आपको शांत रहना सीखना होगा। एक दिन मेरे पास एक महिला का फोन आया। वह आत्महत्या करना चाहती थी। उसने कहा कि मेरे पति ऑफिस की किसी दूसरी महिला को चाहते हैं। वे उससे शादी करना चाहते हैं। इसलिए मुझे तलाक दे रहे हैं। क्या आपके पास इसका कोई हल है? मैंने उससे कहा कि यह सोचो कि हर चीज सामान्य है। आपके पति को कुछ नहीं हुआ है। महिला बोली, ‘सब सामान्य नहीं है, फिर मैं ऐसा कैसे सोचूं?’ मैंने कहा कि आप सिर्फ यह कल्पना करें कि सब सामान्य है। तभी आप शांत हो सकेंगी और कुछ कर सकेंगी। महिला ने महीने भर ऐसा ही किया। उसका पति अपनी पत्नी में आए बदलाव को नोटिस कर रहा था कि उसने चिल्लाना-रोना बंद कर दिया है। एक दिन पति ने कहा कि मेरा तबादला अमेरिका हो गया है। मेरी दोस्त का तबादला भी अमेरिका हो गया है। हम दोनों वहां जाकर शादी कर रहे हैं।
आत्म सम्मान है जरूरी
अब महिला को अपने पति को रोकने में कोई रुचि नहीं रह गई थी। उसने कहा कि अब मैं अपना ध्यान स्वयं रख सकती हूं। मैं नौकरी कर सकती हूं। अपने माता-पिता के साथ आराम से रह सकती हूं। इसलिए तुम जा सकते हो। उसका पति चला गया। दो महीने बाद उसने पत्नी को कॉल किया और कहा कि मैंने जो भी तुम्हारे साथ किया, उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। क्या हम दोबारा एक हो सकते हैं? महिला ने हामी भर दी। अब दोनों पति-पत्नी को साथ रहते हुए चार साल हो गए हैं और उनकी प्यारी-सी बेटी भी है।
तब होता है अच्छे विचारों का जन्म
सामनेवाला यदि नियंत्रण से बाहर है, तो आप उसे संभालने के फेर में अपना आपा न खोएं। खुद को एकदम शांत रखें। शांत रहने पर ही अच्छे विचार जन्म लेते हैं।
मन को आराम देने के लिए हमें 15 दिन का हॉलिडे नहीं चाहिए, सिर्फ सारे दिन में बीच-बीच में एक मिनट का ब्रेक चाहिए क्योंकि यह मन ऐसा नहीं है कि पूरा समय आप ऐसे काम करते रहो और फिर 15 मिनट आराम दें. 15 दिन तो आप शरीर को आराम दे रहे हैं लेकिन मन को भी आराम देना चाहिए. इसमें हमें यह देखना है कि इन पंद्रह दिनों में मन ने किस प्रकार के संकल्पों की रचना की है. मनोरंजन एक अच्छी चीज़ है लेकिन यह तनाव को समाप्त नहीं कर सकता और यह इसका समाधान भी नहीं है. यह भले ही थोड़े समय के लिए आपको रिलेक्स कर सकता है लेकिन तनाव का समाधान हमारी संकल्प शक्ति में है. जब आप अपने कार्य को,अपनी पढ़ाई को अपने स्वाभाविक दिनचर्या को एन्जॉय करना शुरू कर देते हैं तो फिर हॉलिडे पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.
तनाव (स्ट्रेस) को लेकर जो एक बहुत बड़ी मान्यता है कि वो बाहर से आता है, क्योंकि हमने दूसरी मान्यता बना ली है कि तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन ये गलत है. टेंशन का कारण परीक्षा, पाठ्यक्रम, बॉस, समाज,सामाजिक ढांचा, सरकार नहीं है, जैसे ही मैंने इन सब चीज़ों को अपनी टेंशन का कारण बताया, मुझे दूसरी बात ये भी पता चली कि मेरे अनुसार ये सब चलने वाले नहीं हैं, ये होने वाला ही नहीं है, फिर मैंने कहा मेरे तनाव का कारण आप हैं. आप बदलते नहीं हो, तो फिर मुझे तनाव में तो रहना ही पड़ेगा, तो मैं कैसे आशा करूं कि तनाव होना सहज है?