बेटी बचाओं (दोपहर की कड़कती धूप में)
नवजात बेटी का सवाल :-
दोपहर की कड़कती धूप में
रात के अंधेरे में सुनसान सड़क पर
काँटे भरी झाड़ियो
क्यों फेंका तुमने मुझको |
क्यों नहीं काँपे हाथ तुम्हारे
जब डाला कचरे में मुझको
क्यों नहीं आए आँखो में आँसू
मेरे रोने से |
इतनी निर्दयी कैसे बनी
मेरी मुस्कान भी रोक नहीं पाई
क्यों फेंका तुमने मुझको |
9 महीने सींचा था
तुमने आपने खून से मुझको
फिर क्यों नहीं लड़ पाई
इस दुनिया से
क्यों फेंका तुमने मुझको |
इच्छा अपने दिल की चुनना थी
इस दुनिया की नहीं सुनना थी
जिसने दर्द दिया था तुमको
उसका बदला लेती में
क्यों फेंका तुमने मुझको |
मेरी पहचान छीन ली तुमने
अपने दिल का टुकड़ा फेंक दिया
“अब में लावारिस कहलाऊंगी “
“अब में लावारिस कहलाऊंगी “
क्यों फेंका तुमने मुझको |