Self Awareness Skills : दूसरों को दोष देने से पहले अपना मूल्यांकन करें |
‘सो परत्र दुख पावइ सिर धुनि धुनि पछिताई। कालहि कर्महि ईस्वरहि मिथ्या दोष लगाइ’ ये चौपाई का अर्थ – : वह परलोक में दुःख पाता है, सिर पीट-पीटकर पछताता है तथा (अपना दोष न समझकर) काल पर, कर्म पर और ईश्वर पर मिथ्या दोष लगाता है|
मनुष्य का शरीर सौभाग्य से मिला है। जो इसका दुरुपयोग करते हैं या ऐसे लोगों के जीवन में जब परेशानी आती है तो वो दोष दूसरों पर मढ़ देते हैं। राम भरत को बता रहे थे- ‘सो परत्र दुख पावइ सिर धुनि धुनि पछिताई। कालहि कर्महि ईस्वरहि मिथ्या दोष लगाइ’ । ‘वह परलोक में दुख पाता है, सिर पीट-पीटकर पछताता है और अपना दोष न समझकर काल परे, कर्म पर और ईश्वर पर मिथ्या दोष लगाता है।’ बहुत सारे लोगों की ये आदत बन जाती है। गलती भले अपनी हो पर दूसरों को दोषी बनाते हैं। हमें मनुष्य का शरीर मिला है, तो हमें दोनों हाथों का उपयोग करना आना चाहिए। हाथों की कला रसोइयों से सीख सकते हैं। भोजन सामग्री वही हो, पर रसोइयों के हाथ बदल जाते हैं तो स्वाद बदल जाता है। रसोइया भी जानता है कि भोजन में मसाला मिलाने का गुर यदि आ गया तो स्वाद आ जाएगा। इसलिए हाथ, मात्रा और आंच का संतुलन अच्छे रसोइयों की पहचान है। इसी तरह हमें भी जीवन में कई परिस्थितियों में रसोइयों की भूमिका निभाना पड़ती है। उसी परिस्थिति में कोई दुखी होकर टूट जाएगा और उसी परिस्थिति में हमें धैर्य रखकर सफलता पानी है। यदि चूक भी हो जाए तो पहले खुद का मूल्यांकन करें, फिर दूसरों की सोचें। दूसरों को दोष देकर कुछ हासिल नहीं होगा |