Self Awareness- काल, कर्म, स्वभाव और गुण के दुखों से मुक्ति का रास्ता –
ईश्वर अपने भक्तों पर बिना कारण ही कृपा करते हैं और उसका सबसे बड़ा परिणाम है मनुष्य का शरीर मिलना। इसीलिए राम ने कहा, ‘फिरत सदा माया कर प्रेरा। काल कर्म सुभाव गुन घेरा।’ ‘माया की प्रेरणा से काल, कर्म, स्वभाव और गुण से घिरा हुआ मनुष्य सदा भटकता रहता है।’हम लोगों की जिंदगी में चार रास्ते से दुख आते हैं। एक काल का यानी समय का दुख होता है। कहते हैं कि खराब समय चल रहा है। दूसरा कर्म का दुख होता है। कोई ऐसा काम करो, जिसका दुख दिखता है कि यह इसी के कारण मिला है।कुछ लोग अपने स्वभाव से दुखी होते हैं। और कभी-कभी हमारी योग्यता, गुण… यह भी दुख का कारण बन जाते हैं। जब भी कभी जीवन में ऐसा हो और हमारे सामने इन चारों के कारण दुख आए, अंधकार आए, परेशानी आए, तो हमें सोचना चाहिए कि ऐसे समय में राम क्या करते हैं और जो राम करते हैं, वही हम करें।एक भजन है- ‘जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।’ स्वामी अवधेशानंद गिरी जी इसमें एक छोटा-सा संशोधन कराते हैं और कहते हैं, ‘जाहि विधि रहे राम ताहि विधि रहिए।’ राम रखें और आप रह लिए, इससे अच्छा राम जैसे रहे हैं, वैसे आप रहिए, तो काल, कर्म, स्वभाव और गुण के जो दुख आएंगे, उससे हम मुक्ति पा लेंगे।