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News Cover Story – शतरंज में नया ‘आनंद’… गुकेश सबसे युवा वर्ल्ड चैम्पियन |

मोहरों का सबसे बड़ा खिलाड़ी गुकेश 18 की उम्र में विश्वविजेता बने… विश्वनाथन 31 की उम्र में पहली बार चैम्पियन बने थे , मोहरों का ‘लकी मूव’- मुकेश हर गेम से पहले अपने घोड़ों को राजा की तरफ फेस करके जमाते हैं

18 साल के भारतीय बैंडमास्टर डी एकेजा ने शतरंज की दुनिया में इतिहास रच दिया। वे सिंगापुर में गुरुवार को कई चेस चम्पयनशिप जीतकर सबसे युवा चेस कार्ड चैम्पियन बन गए। 1985 में रूम के गैरी कामदेव ने 22 की उम्र में यह जीता। चेमटर विश्वनाथन आनंद के दधि बासिन करने वाले वे दूसरे भारतीय हैं। आनंद 31 की उम्र में पहली बार चैम्पियन बने थे। मुकेश ने चीन की बादशाहत रीदते हुए डिफेंडिंग पैम्पियन डिश तिरेन (32) को 7.5-6.5 से हराया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी। कहा, वे जीत विश्व शतरंज में भारत के महाशक्ति होने का प्रमाण है। इंटरनेशकाल चेस फेडरेशन के 138 साल के इतिहास में पहली बार हुआ जब एशिया के 2 खिलाड़ी कार्ड चैम्पियन के खिताब के लिए भिड़े थे। गुकेश को 11.45 करोड़ व हिरन की 9.75 करोड़ मिले।

13 वी बाजी तक दोनों खिलाड़ियों के एक समान 6.5 अब थे। 14 वीं भान के डॉ रहने पर फैसला टाइब्रेकर से तोता, पर गुकेश ने इसकी नौबत नहीं आने दी। 14वीं मानी जीतकर फैसला हक में कर लिया।मुकेश अपने हर गेम से पहले अबो भाग्य के लिए मोहरों को एक खास तरीके से एडजस्ट करते हैं। वे अपने घोड़ों को राजन की तरफ केस करके समाते हैं। मुकेश ने 8 अप्रैल को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरे लिए दुनिया बेहतरीन खिलाड़ी बनना ही अंतिम लक्ष्य है। मैं हर खेल से सीख लेकर हर दिन बातर बरने की कोशिश करता है। वे रोज बोग और ध्यान करते हैं, उन्हें गेम में मदद मिलती है। इससे है। ये ई के रहने वाले हैं। साई में पड़ 2006 को हुआ था। पिता डॉक्टर है और मां माइक्रोबायोलोजिस्ट है। गुकेश में माल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें भास्कर नया ने कोचिंग दी थी। नाहया इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी रहे हैं और बेई में बैंस के होम ट्यूटर हैं। फिर विश्वनाधन आनंद ने उन्हें गेम की बारीकियों सिखाई|

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