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News Cover Storyसामंथा – हार्वे 5 वर्षों में बुकर जीतने वाली पहली महिला, ऑर्बिटल अब तक का दूसरा सबसे छोटा नॉवेल भास्कर

सामंथा – हार्वे 5 वर्षों में बुकर जीतने वाली पहली महिला, ऑर्बिटल अब तक का दूसरा सबसे छोटा नॉवेल भास्कर बाउंड सामंथा ने लिखा… अंतरिक्ष से धरती को देखने की खुशी ऐसी, जैसे कोई मणिपुर बच्चा आईना देखता है; रोजमर्रा की समस्याएं यहां तुच्छ लगने लगती हैं|

ब्रिटेन में इस साल सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब

ऑर्बिटल नवंबर, 2023 में प्रकाशित हुआ था। यह ब्रिटेन में 2024 में सबसे ज्यादा बिकने वाला उपन्यास बना। इसमें 136 पेज हैं। उपन्यास का एक भी अध्याय 400 शब्दों से ज्यादा का नहीं है। बुकर पुरस्कार जीतने वाली अब तक की सबसे छोटी किताब पेनेलोप फिटूजगेराल्ड की 132 पन्नों वाली ‘ऑफशोर’ है। इसे 1979 में बुकर मिला था।

ब्रिटेन की सामंथा हार्वे ने अपने उपन्यास ‘ऑर्बिटल’ के लिए 2024 का बुकर पुरस्कार जीत लिया है। यह उपन्यास अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर बिताए एक दिन की कहानी है, जिसे उन्होंने महामारी में लॉकडाउन के दौरान लिखा था। हार्वे का यह पांचवां उपन्यास है। छह फाइनलिस्ट की शॉर्टलिस्ट में यह बेस्टसेलर किताब थी। इतना ही नहीं यह पिछले तीन बुकर विजेताओं की संयुक्त प्रतियों से भी ज्यादा बिकी है। अपने संबोधन में सामंथा ने कहा कि उपन्यास लिखते वक्त वे पूरे समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से स्ट्रीमिंग वीडियो देखती रहीं। अंतरिक्ष से कुछ ऐसा था पृथ्वी को देखना जैसे कोई बच्चा पहली बार आईने में देख रहा हो और पहली बार महसूस कर रहा हो कि आईने में दिखने वाला व्यक्ति कोई और नहीं, वह खुद है। एस्ट्रोनॉट्स की तुलना सामंथा ने उल्लासित प्रेमी के चेहरे की है। वे सोते-जागते हुए सिर्फ तरह धरती को देखते हैं हैं और इसी में गुम हो जाते हैं। सामंथा ने आगे कहा कि 5 हजार शब्द लिखने के बाद उन्होंने ऑर्बिटल लिखना छोड़ दिया था। उन्हें लगा डेस्क पर एक महिला की लिखी अंतरिक्ष की कहानी कोई क्यों पढ़ेगा। हार्वे ने कहा, ‘मैंने सोचा, मेरे पास यह किताब लिखने का अधिकार नहीं है। महामारी के दौरान ही दोबारा लिखना शुरू किया। ‘ऑर्बिटल’ दरअसल जापान, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और इटली के उड़ जाने जैसी घटनाएं मामूली लग सकती हैं, पर इनसे जूझना कितना मुश्किल है यह एक एस्ट्रोनॉट ही बता सकता है। आईएसएस से धरती के दृश्य से हमें ग्रह को एक नए तरीके से देखने में मदद मिली। इस दूर के दृष्टिकोण ने हमारी रोजमर्रा की समस्याओं को तुच्छ बना दिया।’ सामंथा ने कहा, ‘यह सम्मान उन  डी. कुमा 6 अंतरिक्ष यात्रियों की 24 घंटे को कहानी है। ये एस्ट्रोनॉट इतनी देर में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त का अनुभव करते हैं। इस छोटे से उपन्यास में एस्ट्रोनॉट्स की जिम्मेदारियों और संघों के बारे में जानकारी दी है। हाथ से कैंची का छूट जाना, ऑटो डिस्पेंसर से खाना निकलकर हवा में सभी लोगों को समर्पित है जो पृथ्वी जिरीबा के समर्थन में, दूसरे इंसानों, जीवों की गरिमा और शांति के लिए बोलते गई है हैं, उनके लिए काम करते हैं।’ इससे हुए पहले 2008 में प्रकाशित उनका केंद्री पहला उपन्यास ‘वाइल्डरनेस’ बुकर 20 सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामित हुआ था।

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