अपनी किस्मत के निर्माता आप खुद ही है | हरेक विचार , भावना इच्छा और कर्म एक शक्ति पैदा करता हैं | अच्छा और बुरा दोनों ही हमें प्रभावित करते हैं , और तब तक हम पर हावी रहते है जब तक की हम उनके बीच संतुलन नहीं पैदा कर देते |
सृजनशील व्यक्ति कुछ न कुछ कर गुजरने की इच्छा – शक्ति से प्रेरित रहता हैं , न की दुसरो को पीछे छोड़ने की चाह से |
हमारी पृवत्ति और हमारी इच्छा – शक्ति कैंची के दो फलों की तरह हैं | एक फल अपनी मर्जी करने की आजादी हैं और दूसरा फल प्ररेणा और पृवत्ति | जब दोनों फल मिलकर चलते है तब कैंची अपना काम करती है |