Self Awareness – अपने भीतर इन तीन गुणों की व्यवस्था करना सीखें |
अपने भीतर इन तीन गुणों की व्यवस्था करना सीखें |
इन दिनों ये शोर बहुत है कि सकारात्मक हो जाइए, नकारात्मकता छोड़ दीजिए। अब शोर इतना है कि लोग समझ ही नहीं पाते कि ये सकारात्मकता, नकारात्मकता है क्या। इसे यूं समझें कि हर मनुष्य में तीन गुण हैं सतोगुण यानी अच्छे काम करना, रजोगुण यानी दुनियादारी के काम करना और तमोगुण गलत काम करना। अब ये तीनों गुण कब परिणाम देते हैं? दरअसल मनुष्य शरीर के भी कुछ कायदे हैं। हम जिस देश-दुनिया में रहते हैं, उसके भी कानून हैं। तमोगुण की रुचि इन सबको तोड़ने में होती है और इसे ही नकारात्मकता कहते हैं। जैसे हमारे शरीर का मूल स्वभाव है खुश रहना। ईश्वर ने कभी किसी को उदास पैदा नहीं किया। उदासी तो हम बाहर से आयात कर लेते हैं। इसलिए तमोगुण कैसे कम हो, इस पर काम किया जाए। रजोगुण, तमोगुण से मिलेगा तो आप नकारात्मक काम करेंगे। अगर रजोगुण, सतोगुण से मिलेगा तो आप सकारात्मक काम करेंगे। ये गणित थोड़ा कठिन लगता है, लेकिन बहुत सरल है। अपने भीतर इन तीन गुणों की व्यवस्था करना भी सीखें।
सतोगुण (Sattva) भारतीय दर्शन और योग के अनुसार, प्रकृति के तीन गुणों (त्रिगुण) में से एक है। यह गुण पवित्रता, ज्ञान, संतुलन, और सकारात्मकता का प्रतीक है। सतोगुण मानसिक और शारीरिक शुद्धता, शांति, और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
सतोगुण के लक्षण:
- शुद्धता: मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक शुद्धता।
- ज्ञान: आत्मा और सत्य को जानने की प्रवृत्ति।
- संतुलन: विचारों और कर्मों में संतुलन और स्थिरता।
- करुणा और प्रेम: दूसरों की मदद करने और सभी के प्रति प्रेम भाव रखना।
- शांति: मन और हृदय में आंतरिक शांति।
- धैर्य: परिस्थितियों को शांतिपूर्वक संभालने की क्षमता।
सतोगुण को बढ़ाने के उपाय:
- सात्विक आहार: पौष्टिक, ताजा और शुद्ध भोजन का सेवन करना।
- ध्यान और योग: नियमित ध्यान और योग अभ्यास से मन को स्थिर और शुद्ध करना।
- सत्संग: अच्छे और सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना।
- पढ़ाई और ज्ञान: आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन और चिंतन करना।
- सकारात्मक सोच: हमेशा अच्छे विचारों और उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।
सतोगुण जीवन को उन्नति और शांति की ओर ले जाता है और आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक माना जाता है।
रजोगुण को भौतिक इच्छाओं, कर्म और भौतिक दुनिया से जुड़ाव का कारण माना जाता है। यह इंसान को कार्यशील बनाता है लेकिन साथ ही तनाव और असंतोष का कारण भी हो सकता है।
रजोगुण के लक्षण:
- सक्रियता: निरंतर कार्य करने और ऊर्जा का अनुभव।
- अस्थिरता: मन और भावनाओं में अस्थिरता और बेचैनी।
- भौतिक इच्छाएं: धन, प्रसिद्धि, और सुख की लालसा।
- अहंकार: स्वाभिमान और स्वयं को केंद्र में रखने की प्रवृत्ति।
- प्रतिक्रिया: तीव्र और आवेगपूर्ण प्रतिक्रियाएं।
- प्रतिस्पर्धा: दूसरों से आगे बढ़ने की लालसा।
रजोगुण के प्रभाव:
- यह व्यक्ति को सफलता की ओर प्रेरित करता है लेकिन साथ ही मानसिक अशांति और तनाव भी उत्पन्न कर सकता है।
- भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए संघर्ष और दौड़ का कारण बनता है।
- यदि संतुलन में न हो, तो यह व्यक्ति को लोभ, क्रोध, और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा की ओर ले जा सकता है।
रजोगुण को संतुलित करने के उपाय:
- ध्यान और योग: मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें।
- सात्विक जीवनशैली: रजसिक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने के लिए सात्विक आहार और विचारों को अपनाएं।
- नियमितता: दिनचर्या में अनुशासन और नियम बनाएं।
- संतोष: जो है उसमें संतोष का भाव विकसित करें।
- आध्यात्मिक अभ्यास: जीवन के गहरे अर्थ और आत्मा के उद्देश्य को समझने के लिए अध्ययन करें।
रजोगुण का महत्व:
रजोगुण का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह हमें कार्यशील और ऊर्जावान बनाता है। हालांकि, इसे सतोगुण और तमोगुण के साथ संतुलित रखना आवश्यक है, ताकि यह मानसिक अशांति या अत्यधिक भौतिकता की ओर न ले जाए।
तमोगुण (Tamo guna) भारतीय दर्शन, विशेषकर सांख्य दर्शन और भगवद गीता में तीन गुणों (सत्व, रज, तम) में से एक है। यह गुण व्यक्ति की मानसिकता, प्रवृत्ति और जीवनशैली को प्रभावित करता है। तमोगुण का मुख्यत: संबंध जड़ता, आलस्य, अज्ञान, और निष्क्रियता से होता है। यह गुण नकारात्मक प्रवृत्तियों को जन्म देता है और आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डाल सकता है।
तमोगुण के लक्षण:
- आलस्य और निष्क्रियता: व्यक्ति किसी भी कार्य को टालने या स्थगित करने की प्रवृत्ति रखता है।
- अज्ञान और भ्रम: सत्य और वास्तविकता को समझने में कठिनाई होती है।
- अधर्म की प्रवृत्ति: गलत कार्यों की ओर झुकाव या नैतिकता की कमी।
- नींद और मद: जरूरत से ज्यादा सोना, निष्क्रिय रहना या मादक पदार्थों का सेवन करना।
- हिंसा और क्रोध: नकारात्मक विचार और व्यवहार।
तमोगुण से कैसे बचें:
- सत्त्वगुण का विकास करें: सत्य, पवित्रता, और ज्ञान का अनुसरण करें।
- सत्संग और ध्यान: आध्यात्मिक सत्संग और ध्यान का अभ्यास करें।
- स्वास्थ्यप्रद आहार: सादा, सात्विक और पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
- अच्छी संगति: सकारात्मक और प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं।
गीता में तमोगुण: भगवद गीता (अध्याय 14) में भगवान कृष्ण ने तीन गुणों के बारे में विस्तार से बताया है। तमोगुण को अज्ञानजनित बताया गया है, जो मनुष्य को अधोगति की ओर ले जाता है।
तमोगुण के प्रभाव से उबरने के लिए सतत प्रयास और सही मार्गदर्शन आवश्यक हैं। जीवन में संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए तमोगुण को कम करना महत्वपूर्ण है।