News Cover Story – आर्य राजेंद्रन मेयर, तिरुवनंतपुरम
कामयाबीः यूएन हैबिटेट शंघाई अवॉर्ड-2024 पाने वाले तिरुवनंतपुरम की मेयर ने बताया सफर,मैं 21 साल की उम्र में मेयर बनी तो लोग बच्ची समझते थे, अपने काम से दिया जवाब; तिरुवनंतपुरम को बनाया 4 साल में जीने के लिए बेस्ट सिटी |
शहरी जिंदगी को आसान बनाने के लिए केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम ने इसी महीने यूएन हैबिटेट शंघाई अवॉर्ड-2024 हासिल किया है। शहरों के सतत विकास के लिए यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है। तिरुवनंतपुरम यह अवॉर्ड हासिल करने वाला देश का पहला शहर है। इससे पहले यह अवॉर्ड ब्रिस्बेन (ऑस्ट्रेलिया) व साल्वाडोर (ब्राजील) को मिला है। तिरुवनंतपुरम की मेयर आर्या राजेंद्रन ने भास्कर को 4 साल के सफर और इस दौरान किए गए उन कामों के बारे में बताया जिससे शहर दुनिया के बेहतरीन शहरों में शामिल हुआ।
योजनाएं… 115 ईवी बसें चलाई, बेरोजगारों को 100 ईवी ऑटो व 35 ईवी बाइक दीं, 2 हजार सोलर लाइटें लगाई |
2020 में जब मैं मेयर चुनी गई तो कुछ लोगों ने कहा कि एक बच्ची को मेयर बना दिया गया है। मुझे अपने काम से इस बात का जवाब देना था। हमने योजना बनाई और यह तय किया कि हमें जीरो कार्बन तिरुवनंतपुरम बनाना है। यह शहर हमेशा से टूरिस्ट फ्रेंडली ग्रीन सिटी रहा है। हमें इसे ऐसा ही रखना था। इसी दौरान सरकार ने इसे सोलर सिटी घोषित किया। इसका भी फायदा हुआ। इसके तहत सरकारी इमारतों और शिक्षण संस्थानों पर 17 हजार किलोवाट क्षमता के सोलर चैनल लगाए गए। इससे 2.5 करोड़ यूनिट बिजली बनने लगी। हमने 115 इलेक्ट्रिक बसें चलाई। बेरोजगारों को 35 ईवी बाइक और 100 ईवी ऑटो दिए। राजधानी की सड़कों पर 2 हजार सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई। शहर की सारी सोडियम वेपर लैंप और ट्यूब लाइटों की जगह एलईडी लाइट्स लगवाई। शहर के हर वॉर्ड में तुंबुर मुझिस (जैव कचरा निपटाने वाला सिस्टम) इंस्टॉल किया गया और हर घर को किचन बीन्स दिया गया, जिसमें वे जैविक कचरा डालते हैं। इससे कचरे की समस्य काफी हद तक कम हो गई। पूरे शहर में हरितकर्म सेना तैयार गई, जो प्लास्टिक और दूसरे अजैविक कचरे इकट्ठा कर उन्हें प्रोसेस करती है। हम ऐसा ऐप भी विकसित कर रहे हैं, जिसमें सूचना देने वाले के खाते में सीधे हुए कहा जुर्माने की रकम का कुछ हिस्सा चाहते चला जाए। 107 एमएलडी रोज एकता साफ करने की क्षमता वाला सीवेज के गुम ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित है। ताकि शहर काहा का कोई जलस्त्रोत प्रदूषित न हो। शहर भर में छात्रों के पढ़ने के लिए हुए स्टडी रूम्स बनाए हैं। गरीब छात्रों खत को लैपटॉप और अध्ययन सामग्री कि दी है। अब तक हमने हर वॉर्ड में एक औसतन 10 करोड़ रुपए के विकास कार्य किए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है….