आज 30 जनवरी महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि हैं , जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक बातें
आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। उनके लिए सादगी पूर्ण जीवन ही सौन्दर्यता थी। गांधी जी का जीवन एक साधक के रूप में भी मशहूर है। उन्होंने सादगी, निर्लिप्तता, और आत्मा के साथ संबंध को महत्वपूर्ण धारणाओं में जिया। एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवनव्यतीत करने वाले गांधी भारतीयों के लिए पिता तुल्य हो गए और लोग उन्हें प्रेम व आदरपूर्वक बापू कहकर पुकारने लगे।
मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय नगर पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर सन् 1861 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे और ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे। गुजराती भाषा में गान्धी का अर्थ है पंसारी जबकि हिन्दी भाषा में गन्धी का अर्थ है इत्र फुलेल बेचने वाला जिसे अंग्रेजी में परफ्यूमर कहा जाता है। उनकी माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय की थीं। पुतलीबाई करमचन्द की चौथी पत्नी थी। उनकी पहली तीन पत्नियाँ प्रसव के समय मर गयीं थीं। भक्ति करने वाली माता की देखरेख और उस क्षेत्र की जैन परम्पराओं के कारण युवा मोहनदास पर वे प्रभाव प्रारम्भ में ही पड़ गये थे जिसने आगे चलकर महात्मा गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन प्रभावों में सम्मिलित थे दुर्बलों में उत्साह की भावना, शाकाहारी जीवन, आत्मशुद्धि के लिये उपवास तथा विभिन्न जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता।
महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचारों से हमें कई प्रेरणादायक सिख मिलती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक बातें हैं जो महात्मा गांधी से जुड़ी हैं:
- सत्य और अहिंसा का पालन: गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का मूलमंत्र माना और यही सिखाई भी। उनका कहना था कि सत्य और अहिंसा में ही व्यक्ति की शक्ति होती है और इसी से समाज में परिवर्तन संभव है।
- सर्वोदय और आत्मनिर्भरता: महात्मा गांधी ने समाज में सर्वोदय की भावना को बढ़ावा दिया और आत्मनिर्भरता की महत्वपूर्णता को साबित किया। उन्होंने खुद को एक आम आदमी के रूप में देखा और उन्होंने साधने की प्रक्रिया में स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया।
- सामराज्य और असहमति के तरीके: गांधी ने सामराज्य के खिलाफ खुले मुँह से आवाज उठाई और उन्होंने अपने असहमति का इजहार शानदार तरीके से किया। उन्होंने सत्याग्रह और अनशन की राहों से अपने आत्मीयों को समर्थन करने का प्रेरणा दिया।
- खुदाई की भावना: महात्मा गांधी ने खुदाई की भावना को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने यह सिखाया कि सच्चे परिवर्तन का आरंभ खुद से होना चाहिए।
- सही तरीके से सोचना और कर्म करना: गांधी ने सोचने और कर्म करने की सही तरीके को बताया। उनका मानना था कि अगर हम सही दिशा में सोचते हैं तो सही कार्रवाई करना संभव है।
इन बातों से साबित होता है कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, सर्वोदय, आत्मनिर्भरता, सहमति के तरीके और सही सोच और कर्म की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया और लोगों को इन मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
आजादी के लिए गांधी के आंदोलन -: स्वतंत्रता के लिए गांधी जी ने कई आंदोलन किए। इसमें सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, डांडी यात्रा आदि शामिल है। गांधी जी ने देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा की सिद्धांत अपनाया। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सौहार्द और एकता बढ़ाने का प्रयास किया।
स्वतंत्रता के बाद – : भारतीय स्वतंत्रता मिलने के बाद गांधी जी ने भारतीय समाज के साथ सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
महात्मागांधीकोराष्ट्रपिता किसनेकहा -: महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहने का स्रोत पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को “राष्ट्रपिता” कहकर सम्मानित किया था क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था और वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उसके बाद से “राष्ट्रपिता” का उपयोग गांधी जी के सम्मान में आम तौर से किया जाने लगा।
उन्होंने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से पूरे विश्व की सोच बदल दी– : आज़ादी एवं शांति की स्थापना ही उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था। गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता और शांति के लिए शुरू की गई इस लड़ाई ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में कई ऐतिहासिक आंदोलनों को एक नई दिशा प्रदान की।
गांधीजी की दृष्टि और दर्शन संयुक्त राष्ट्र के कार्य के स्तंभ हैं। उनकी प्रतिभा का एक हिस्सा सभी चीजों के बीच अंतर-संबंध और एकता को देखने की उनकी क्षमता में निहित था। उनकी राजनीतिक उपलब्धियों में उस आंदोलन का नेतृत्व करना शामिल था जिसने शांति, प्रेम और अखंडता को कायम रखते हुए भारत में औपनिवेशिक शासन को समाप्त कर दिया।